अठोटकऽ आगि धधराकऽ
बाह्रौ मास अधनङ्गटे देह लऽ,
ठिहरी भुँई पर दरि बिछा जतऽ,
फुटल सलेट पर भट्ठा धऽ,
भाग्य लिखैक छथि 'भुमिजा' ॥
भूमिसुता के जन्म सऽ बदरी भऽ
उर्वर भेल नगरके धरती
मुढ चपाट 'श्रिद्धद्रु'कऽ बहिर सभामे
के सुनौत 'बैदेही'के बिलाप ?
बिधवा विदुसीके आगमन पर,
धोयलौ आँगन गंगाजल सऽ ।
दु कण सोनके लौलमे बतहा,
जतऽ छाउर बनै छैथि 'मैथिली' ॥
जइ नगरीमे डेग डेग पर
होईत अछि 'सिया'के अपमान,
ओई नगरीमे डेढ सौ हाथकऽ
योद्धा-प्रतिमा के केहु काम?
ई जानकीके छि 'अपमान'
ई छियैन जानकीके 'अपमान' ॥
~ ०८ फरबरी २०२० ~ २५ माघ २०७६ ~
(photo source: https://www.artstation.com/artwork/xLXPm)
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