ऐ देश तू इतना दूर नही ..
इधर भी चमकते है चांद वही, और तारे वही सितारे वही
फिर क्यो लगे ऐसा, कि छूट रहे अब हाथ तेरे
नदियाँ भी बहके आती यहि, और मिल जाती है सागर मे
कुछ तेरे सोंधी सोंधी महक, अब भी आती है लहरो से
फिर क्यो लगे ऐसा, कि छूट रहे अब साथ् तेरे
इधर भी चमकते है चांद वही, और तारे वही सितारे वही
फिर क्यो लगे ऐसा, कि छूट रहे अब हाथ तेरे
नदियाँ भी बहके आती यहि, और मिल जाती है सागर मे
कुछ तेरे सोंधी सोंधी महक, अब भी आती है लहरो से
फिर क्यो लगे ऐसा, कि छूट रहे अब साथ् तेरे
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